मंगलवार, 29 सितंबर 2009

मैया करेगी एनसेफ़लाईटिस का नाश


३२ साल से पूर्वी उत्तर प्रदेश में हजारों मासूमों की मौत का सबब बन रही एन्सेफलाइटिस अब माँ भवानी के हाथों  मारी जायेगी. विजयदशमी को जब सारी दुनिया में रावन जलाया जा रहा था तो गोरखपुर के लोग माँ भवानी को अपने खून से चिट्ठयां लिख रहे थे. सूरजकुंड स्थित 'निरामय' चिकत्सालय में नीप के चीफ कम्पेनर  डॉक्टर आर.एन.सिंह की अगुवाई में लोगों ने ये चिट्ठियां लिखीं. इस मौके पर डॉक्टर सिंह ने कहा कि पिछले ४ साल में केंद्र सरकार को हजारों चिट्ठियां लिख-लिख कर वे थक चुके हैं इसलिये अबकी बार सीधे माँ से गुहार लगाईं है. उन्हें पूरी श्रद्धा है की माँ उनकी फरियाद जरूर सुनेगी. अपने खून से चिट्ठियां लिखने वालों में डॉक्टर सिंह के अलावा मुख्य रूप से सर्वश्री रामशंकर सिंह, डॉक्टर वीणा सिंह, स्नेह सिंह,  डॉक्टर मनीष सिंह, डॉक्टर विस्नुप्रिया सिंह, सुरजीत सिंह, लिटिल सिंह आदि शामिल थे.            

रविवार, 27 सितंबर 2009

भगत सिंह तुम वापस आओ

 
बुनियादी तौर पर हम सब दुनिया को बेहतर शक्ल में देखना चाहते हैं. लेकिन जब बात ब्यवहारिकता की आती है तो हमें सबसे पहले सिर्फ हम और हमारे साथ वाले दिखते हैं. दरअसल ऐसा करते वक्त हम खुद को पैदाइशी बुद्धिमान मानकर ठेठ दुनियादारी का फ़र्ज़ निभा रहे होते हैं. लेकिन सच ये है कि ये दुनिया सिर्फ हम जैसे दुनियादारों की बदौलत नहीं चलती बल्कि इसे चलाने और बेहतर बनाने के लिए कुछ ऐसे जूनूनियों की जरुरत पड़ती है जो अपने खून के ईधन से क्रांति का पहिया आगे बढा सकें. २७ सितम्बर को ऐसे ही एक महावीर जुनूनी का जन्मदिन है.
जी हाँ ठीक पहचाना आपने, सरदार भगत सिंह!
बचपन में खेत में बंदूकें बोने वाला ये महान क्रन्तिकारी आज भी हमारे देश में परिवर्तन के हामी लाखों नौजवानों की प्रेरणा का स्रोत है. भगत सिंह ने सिर्फ अंग्रेजो से आजादी का नहीं बल्कि भूख, गरीबी और असमानता से मुक्ति का सपना देखा था. हमें आज़ादी तो मिली लेकिन भगत सिंह का सपना आज भी अधूरा है. आज के नौजवान होने के नाते ये जिम्मेदारी हमारी भी है के हम भगत सिंह के उस सपने को साकार करें. हम जिस किसी पेशे में हैं वहां चीजों को बेहतर बनाने के कोशिश करें. भूख, गरीबी और असमानता को मिटाने के लिए जो कुछ कर सकते हैं, जरुर करें. हमारी ओर से भगत सिंह को यही सच्ची श्रधान्जली होगी.




साहब को बाथरूम में तो जीने दो



यू.पी  के अफसरों  अब बाथरूम में भी चैन नही मिलने वाला. अरे भाई यही तो एक जगह थी जहाँ हज़रात आराम से आराम फरमाते थे. इस जगह पर फाईलें तो फाइले फ़ोन तक से छुटकारा था. घंटी बजती रहती थी लेकिन साहब बाथरूम से निकलने का नाम नहीं लेते थे. लेकिन अब साहब ऐसा नहीं कर पाएंगे. फ़ोन नहीं उठाना तो दूर साहब ने मोबाइल भी स्विच किया तो गये काम से. दरअसल, सूबे की मायावती सरकार ने साफ-साफ कह दिया है कि अफसरों की यह नाफरमानी नाकाबिले बरदाश्त है।

बकायदा आदेश जारी कर दिया गया है कि सचिवालय में तैनात सभी अधिकारी-कर्मचारी मोबाइल फोन हमेशा खुले रखें ताकि आकस्मिक आवश्यकता के समय तत्काल सम्पर्क हो सके। बात यहीं खत्म नहीं हुई, आदेश में बहुत साफ शब्दों में लिख दिया गया है- ''आवश्यकता पड़ने पर यदि सम्बंधित अधिकारियों से सम्पर्क नहीं हो पाता है तो उसके विरुद्ध अधिकारी-कर्मचारी सेवा नियमावली 1956 के अन्तर्गत कार्यवाही की जा सकती है।''

अधिकारियों-कर्मचारियों की इस नाफरमानी पर सरकार को गुस्सा आना स्वाभाविक भी है। आवश्यकता पड़ने पर किसी भी समय सम्पर्क करने के नजरिए से सरकार ने सचिवालय में तैनात सभी कर्मचारियों और विशेष सचिव स्तर तक के अधिकारियों को अपने स्तर से मोबाइल फोन उपलब्ध करा रखे हैं। बकायदा उनके बिल का भुगतान सरकार करती है। लेकिन जिस नजरिए से यह सुविधा उपलब्ध कराई गई, वह पूरी होती नहीं दिखती। आदेश में कहा गया है, ''कतिपय मोबाइल बंद मिलते हैं या फिर उनके उत्तर प्राप्त नहीं होते। ऐसी स्थिति में आकस्मिक आवश्यकता पड़ने पर एक तरफ जहां सम्बंधित अधिकारियों से सम्पर्क नहीं हो पाता, वहीं शासकीय काम में भी बाधा पड़ती है।''


ऐसी स्थिति भविष्य में न पैदा हो, इसी के दृष्टिगत सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। देखने वाली बात होगी सचिवालय में तैनात अधिकारी-कर्मचारियों पर इस आदेश का कितना असर पड़ता है।



कैसे रुकेंगे हादसे


रविवार की सुबह-सुबह  गोरखपुर से दिल दुखाने वाली एक खबर आई.  गुलरिहा थाना क्षेत्र में बरगदही गांव के पास ट्रक व जीप में हुई भीषण टक्कर में जवाहर नवोदय विद्यालय महराजगंज के नवीं कक्षा में पढ़ने वाले चार छात्रों और जीप चालक की मौत हो गयी। इसमें विद्यालय के सात अन्य छात्र और एक कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गये हैं। हादसे में घायल एक छात्रा का इलाज निजी चिकित्सालय में चल रहा है, बाकी को मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया है। डाक्टरों ने सभी की हालत गंभीर बतायी है। बालू लदे ट्रक का अगला पहिया टूट कर महिन्द्रा मैक्स से टकरा जाने की वजह से यह हादसा हुआ। नवोदय विद्यालय के छात्र और महराजगंज निवासी राकेश प्रसाद अग्रहरी के पुत्र रंजीत अग्रहरी , यहीं के राममिलन चौरसिया के पुत्र दीपक चौरसिया , संतराम पटेल की पुत्री प्रियंका पटेल (16 वर्ष), सिसवा महराजगंज में रहने वाले बिहार निवासी अशोक कुमार राव के पुत्र आशुतोष राव (16 वर्ष) तथा जीप चालक गोरखपुर निवासी कबीर (30 वर्ष) की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गयी। घायलों में महराजगंज और कुशीनगर के बच्चे तथा कर्नाटक के देवनागेर के जवाहर नवोदय विद्यालय की स्टाफ नर्स बीए रहमान परीदेवी (35 वर्ष) शामिल हैं। जवाहर नवोदय विद्यालय महराजगंज के नवी कक्षा के छात्र इन विद्यालयों में राष्ट्रीय एकता अभियान माइग्रेन क्लास के तहत जुलाई में देवनागर(कर्नाटक) के नवोदय विद्यालय गये थे। यह बच्चे दशहरा व दीपावली के अवकाश पर घर वापस आ रहे थे।

आइये, गोरखपुर से आई इस दुखद खबर की  रौशनी में सारे देश में बढती सड़क दुर्घटनाओं की सीमित समीछा कर लेते हैं. आंकडों के मुताबिक भारत दुनिया में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाओं वाला देश है. यहाँ हर एक हज़ार गाड़ियों पर कम से कम ३५ दुर्घटनाएं होती हैं. जबकि विकसित देशों में इतनी ही गाड़ियों पर सिर्फ ४ से ५ दुर्घटनाएं होती हैं. यानि भारत में विकसित देशों के मुकाबले तीन गुना सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. एक अनुमान के मुताबिक इनमे से ८० प्रतिशत दुर्घटनाएं इंसानी गलती के कारण होती हैं. हम सब जानते हैं कि भारत में ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करना कितना आसान है. लापरवाही से गाड़ी चलाने की सजा भी बेहद मामूली है. चौराहों पर तैनात पुलिसवाले १०-२० रूपये की रिश्वत लेकर ट्रक- बसों को नो एंट्री ज़ोन में बे-रोकटोक छोड़ देते हैं. अब वक़्त आ गया है कि सरकार इस बारे में कुछ कड़े कदम उठाये.

पहले शाही हत्याकांड का सच सामने लाओ


                                                             प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल

राजशाही के खिलाफ संघर्ष के दौरान हुई राजनीतिक हत्याओं की जांच कराने संबंधी नेपाल सरकार के ताजा ऐलान से देश की सियासत गरमा गयी है। लेकिन इसी के साथ लोग पूछने लगे हैं की आखिर २००१ में नारायण हिति महल में महाराजा वीरेंद्र सहित उनके पूरे परिवार की नृशंश हत्या का सच कब सामने आयेगा?
देश के प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल का कहना है कि उनकी सरकार राजनीतिक हत्याओं की जांच के लिए हरहाल में आयोग गठित करेगी। नेपाल ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के उद्घाटन सत्र में कहा, 'सरकार निष्पक्ष आयोग के गठन के लिए प्रतिबद्ध है।' दरअसल  इन हत्याओं के लिए माओवादी विद्रोहियों को जिम्मेदार माना जाता है। नेपाल में संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त रिचर्ड बैनेट ने इन राजनीतिक हत्याओं के लिए माओवादी विद्रोहियों को दोषी ठहराया है। उन्होंने हत्या के कई मामलों में यूनीफाइड कम्युनिस्ट पार्टी आफ नेपाल-माओवादी के खिलाफ जांच का आदेश भी दिया है। बैनेट के मुताबिक माओवादियों ने खुद एक बस धमाके में अपना हाथ होने का दावा किया था। इस बस धमाके में 50 लोगों की जान चली गई थी। लेकिन, इस घटना में अब तक किसी के खिलाफ कोई मामला नहीं चलाया गया। बैनेट ने नेपाल सरकार को लिखे एक पत्र में कहा है, 'मानवाधिकारों का हनन करने वालों को बढ़ावा देने और उन्हें बचाने का चलन बंद होना चाहिए, चाहे ये लोग नेपाल सेना के हों या पूर्व माओवादी विद्रोही।'

एशिया के वे इलाके जहाँ जापानी 'बी' एनसेफलाईटिस ने सर्वाधिक तबाही मचाई